डार्क हॉर्स
संतोष तो बस आँख गोल किए एकटक रायसाहब को देखे और निर्वाध सुने जा रहा था उसने सोचा भी नहीं था कि उसकी छोटी-सी बात इतिहास की गलती दोहराने वाली साबित हो सकती थी वह उस गंध मारते कमरे में रायसाहब के चंदन से गमकते दार्शनिक विचारों से महक उठा। उसने मन ही मन रायसाहब की बौदधिकता का लोहा मानते हुए सोचा, 'वाह रे लड़का। ये होता है समझ यही क्वालिटी है जो मेंस लिखे हैं। मजाक थोड़े है, ऐसी छोटी-सी बात के पीछे का बड़ा अर्थ पकड़ना ' वह मन ही मन इस बात के लिए भी रायसाहब का आभार प्रकट कर रहा था कि उन्होंने संतोष को अभी- अभी सिविल सेवा प्रतियोगी की जिम्मेदारी और ओहदे का भान कराया था जो संतोष ने रात भर की यात्रा में हासिल किया था। कल तक संतोष केवल एक छात्र था पर आज वह सिविल सेवा प्रतियोगी हो गया था। इसकी एक अलग जिम्मेदारी होती है। समाज और अपने युग के प्रति इसके विशेष दायित्व होते हैं। संतोष की चाय रखी रखी ठंडी हो चुकी थी पर मिजाज में एकदम गर्माहट आ गई थी।
"आप ठीक कह रहे है रायसाहब असल में, हम अभी उस तरह से नहीं सोच पा रहे है जिस तरह से आप लोग सोच लेते हैं। " संतोष ने चलत्व भाव में कहा।
"हाँ, हो जाएगा धीरे-धीरे अभी तो आए ही है आप हम लोग भी नया में कहाँ ऐसा सोच पाते थे। पर रहे। सौ तरह का किताब पढ़े। कई चीज को देखे, छुए, समझे, तब जाके सोच विकसित हुआ है।" रायसाहब ने गुरुत्व भाव में कहा। इसी बीच संतोष की जेब में रखा मोबाइल बजा 'पटना से पाजेब बलम जी आरा से
हॉटलाली... मंगाई द छपरा से चुनरिया छींट वाली।'
"हाँ! हेलो, प्रणाम पापा!" संतोष ने कहा।
“हाँ, खुश रहो! अरे पहुँच गए? फोन भी नहीं किए। टेंशन हो रहा था यहाँ। " उधर से विनायक बाबू बोले "हाँ, पापा! मोबाइल डिस्चार्ज हो गया था। पहुँच गए हैं।" फिर संतोष ने रायसाहब को एक बार गौर से देखा, मुस्कुराया और एक बार फिर अपने पापा से बोला, "एकदम
सही जगह पहुँच गए हैं।" संतोष तो अभी रायसाहब की बौद्धिकता के ताप से पककर परिपक्व होने की रासायनिक प्रकिया में था। रायसाहब ने इसी प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए संतोष को टोका, "ये आपने रिगटोन किसका लगाया है संतोष भाई?" "अरे आप तो जानते ही होंगे भरत शर्मा व्यास का माटी से जुड़ा बड़ा हिट लोकगीत
है ये। " संतोष ने गर्व से कहा पर अगले ही पल सारा गवं कपूर की तरह उड़ गया। "आप कैसा गीत सुनते हैं। कैसे गानों का रिंगटोन रखते हैं। मोबाइल का वालपपेर कैसा है। इन बीजों से भी लोग आपके व्यक्तित्व का मूल्यांकन करते हैं। सो, इन चीजों के चयन में आपको सावधानी बरतनी चाहिए। ये जो गाना आपने लगाया है रिंगटोन में से बजेगा तो कोई क्या सोचेगा? एकदम से लंफट छेछड़ा वाला फीलिंग आ रहा है, बताइए छोड़िए ये भोजपुरी ओजपुरी का मोहमाया स्टैंडर्ड बढाइए। आप एक बार हमारे पर मारिए मिसकाल "रायसाहब ने एक सांस में कहा।
"हर बड़ी बदल रही है रूप जिंदगी, छाँव है कहीं, कहीं है धूप जिंदगी..." संतोष के